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अदिबासियों का बनऔषध

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अदिबासियों  का  बनऔषध   आज में आप सभों को आदिवासी समाज में आदिम युग से चलते आ रहे कुछ आदिवासी बनऔषध के बारे मे संछेप रूप से बर्णन किया हूँ। मेरा या लिखने का करण यह है की आज के दुनियाँ मे  बनऔषध  पयोग देश बिदेश अधिक रूप में प्रयोग किये जा रहे हैं और  इसे  कई लोग एबं इसके  उपर  बड़ी बड़ी उद्योग पति कामा भी रहे हैं। मेरा कहने का मतलब यह है की जंगलों से तो बनस्पति मिलते ही हैं , पर अदिबासियोंने आदिकाल से बहुंत प्रकार के पेड़-पौधे, फल -मूल और घांस-पुंस इत्यादि को लेकर  बनऔषध  तैयार करते थे। आज भी भारत के आदिवासी इलाके मे इस प्रकार से दवा बनाते आ रहे हैं।                  Olive                                               Lemon              .         ...

आदिवासी के हक

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आदिवासी के हक  असम राज्य में आदिवासी का एक अंश ईसाई ध्रर्म माननेवालों का है । इनकी और सरना धर्म के अनुयाइयों की भाषा, सांस्कृतिक तथा आर्थिक परिस्थितियां एक-सी हैं । इनकी कृषि एवं वासगित भूमि पर एक-दूसरे के साथ अभिन्न रुप से जुड़ी हुई है । कानूनी मामलों में भी वे एक समान ही हिन्दू उत्तराधिकार कानून के मातहत संचालित होते हैं ।   शिक्षा के मामलों में  ईसाई धर्म ग्रहण कर चुके आदिवासी आगे बढ़े हुए हैं। जिस समय भारतीय समाज में आदिवासियों को असभ्य,जगंली कहकर दूर रखा जाता था,उस समय ईसाई मिशनरियों ने उन्हें मनुष्य का  दर्ज़ा देकर पढ़ना-लिखना सिखलाया था। इसका लाभ ईसाई आदिवासियों को मिला था। फलस्वरुप अन्य आदिवासियों की तुलना में आज वे अपना अगुआ स्थान बनाए हुए हैं। सरकारी कैडरों में आदिवासियों में से अधिकतर लोग ईसाई धर्म से आते हैं। इन सब  बातों के होते हुए यह तथ्य निर्विवाद हैं कि आदिवासी जनता  चाहे वह ईसाई हो या सरन, तमाम लोग आर्थिक, सामाचिक एवं सांस्कुतिक रुप से शोषित-पीड़त  रहते हैं एवं उनका दमन, उत्पीड़न समान रुप से चलता है, जो आज तक समाप्त नहीं हुआ है। ...